Sampurn Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के कल्याण के लिए कई तरह की नीतियां बताई बता दें कि चाणक्य नीति ग्रंथ में कुल 17 अध्याय हैं।
Sampurn Chanakya Niti: चाणक्य नीति आपको अपने जीवन में बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल करने के लिए मदद करती है ।यदि आप Chanakya Niti को पूरी तरह से पढ़ते हो और उसका अनुसरण कर अपनी लाइफ में इसका प्रयोग करते हो ,तो कोई भी आपको सफल होने से नहीं रोक सकता। चाणक्य नीति आपको सिखाती है, जीवन के अनोखे तरीके।
इन सभी नीतियों में आचार्य चाणक्य ने सफलता पाने का मूल मंत्र से लेकर सुख शांति के साथ अपना जीवन कैसे व्यतीत करें ,अपने व्यवहार में परिवर्तन कैसे लाएं ,एक अच्छा इंसान कैसे बने इसके बारे में आप Sampurn Chanakya Niti में पढ़ने वाले हो। चाणक्य ने प्रति कम को 7 तरीकों से करने की नीति भी Sampurn Chanakya Niti में बताई है।
Aacharya Chanakya: आचार्य चाणक्य जो की चणक का पुत्र होने के नाते उन्हें चाणक्य कहने लगे, उनकी चाले शत्रु के कभी भी पकड़ में नहीं आती थी । अतीक कुटिल होती थी इसलिए उन्हें लोगों ने नाम दे दिया “कौटिल्य “
आचार्य चाणक्य दिखने में जितने कठोर होते उतना ही उनका हृदय सरल था। राजनीति की विषाद पर टेढ़ी-मेढ़ी चालों का खिलाड़ी होने पर भी वह सच्चा महात्मा था।
Sampurn Chanakya Niti: मनुष्य को सफलता दिलाने वाली कुछ नीतियां ।
Sampurn Chanakya Niti कहती है जिस सीपी में मोती अपना घर बनाया होता है। कभी वह सीपी एक जीता जागता जीव हुआ करता था परंतु उसे एक भूल हो गई ,और वह भूल थी कि उसने अपने भीतर माटी के एक छोटे से कण को प्रवेश करने दिया ।
प्रवेश करने के पश्चात उसे माटी के कण ने धीरे-धीरे इस में रह रहे जीव के रस का उपयोग स्वंम करना आरंभ कर दिया । और उसके पश्चात धीरे-धीरे सीपी में रह रहे जीव का अस्तित्व समाप्त होते चला गया ।और निर्माण हुआ एक मोती का । इसी माटी के भांति शत्रु होता है अथवा दुर्बल अवसर मिलने पर अत्यंत घातक सिद्ध हो सकता है। इसलिए अपने शत्रु पर सदैव अपनी दृष्टि तो बनाए रखें परंतु ,उन्हें अपने अधिक निकट न आने दे अन्यथा अपना अस्तित्व खो बैठोगे ।
अपनी दुर्बलता अपने अश्रु को प्रकट मत होने दो।
Sampurn Chanakya Niti: कभी आपने रुद्राक्ष तो देखा होगा । कहा जाता है कि, रुद्राक्ष महादेव के आंसू होते हैं। यदि कभी आए तो उन्हें स्वयं पोंच लो क्योंकि यदि किसी और को उन्हें पहुंचने दिया तो वह आपका उपयोग करेगा आपकी दुर्बलता को भापकर पहले सहानुभूति दिखाएगा ,और फिर बदले में बहुत कुछ ले जाएगा। इसलिए अपनी दुर्बलता को अपने अश्रु कभी मत बनने दो।
Sampurn Chanakya Niti के अनुसार उसका भान किसी को मत होने दो स्वयं पर एकांत में कार्य करो ,और अपनी दुर्बलता को अपना बल बना लो महादेव की रुद्राक्ष की भांति । अपने अश्रु को ,अपनी दुर्बलता को एक अलग रूप दो । स्मरण रहे यदि आपकी दुर्बलता किसी और को दिखाई दी तो ,यह असफलता की और आपका पहला कदम होगा
अनेकों नदियों का मीठा जल समुद्र में प्रवाहित होता है। तब भी समुद्र का जल खारा ही रहता है। क्योंकि यही समुद्र की प्रवृत्ति है ,इसी प्रकार एक धूर्त व्यक्ति के साथ कोई कितना भी मीठा व्यवहार क्यों न कर ले धूर्त व्यक्ति से उसकी प्रवृत्ति के विरुद्ध व्यवहार की अपेक्षा करना व्यर्थ है । इसलिए प्रयास हमेशा उस दिशा में करें ,जिससे मनचाहा उद्देश्य की प्राप्ति हो।
Sampurn Chanakya Niti: लक्ष्य पाने के लिए बाज की तरह एक योजना
Sampurna Chanakya Niti वन में विचरण करने वाले अधिकांश पशु पक्षी अपने भरण पोषण के लिए शिकार करते हैं । कभी सफल होते हैं ,कभी असफल, किंतु एक शिकारी है ,जिसका बार कभी खाली नहीं जाता जिसे” बाज़” कहते हैं और बाज़ सदा सफल इसलिए होता है ।क्योंकि उसके प्रत्येक शिकार के पीछे एक योजना होती है।
अपने शिकार को देखकर तुरंत उस पर हमला नहीं करता केवल दृष्टि बनाए रखना है । घंटा कई दिनों तक ,निरंतर इतनी ऊंचाई से उसके इर्द-गिर्द madrata रहता है ,की शिकार को उसका भान तक नहीं होता। और फिर उचित समय आने पर एक झपट्टा और शिकार मृत्यु के मुख में होता है ।इसलिए यदि जीवन में भी सफल होना चाहते हो तो धैर्य के साथ योजना और उचित समय आने पर अपनी पूरी क्षमता के साथ लक्ष्य पर प्रहार करो ।
Sampurn Chanakya Niti: चाणक्य अनुसार हर काम उचित समय पर करें।
Sampurn Chanakya Niti: यदि मैं आपसे कहूं कि एक कटार की सहायता से अग्नि को भुझा दो या कमंडल में उपस्थित जल से एक वस्त्र को काट दो । तो क्या यह आपके लिए संभव होगा। कभी नहीं ,क्योंकि अग्नि को जल बुझाता है और वस्त्र को काटने के लिए आवश्यकता होती है ,तीक्ष्ण धार की इसी प्रकार जीवन में शक्ति और संसाधन अर्जित करना ही पर्याप्त नहीं होता उन्हें उचित समय और स्थान पर उचित प्रकार से उपयोग में भी लाना होता है । तभी प्राप्ति होगी एक योग्य फल की।
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निम्न स्तर के लोगों को भी दो आधर सम्मान
Sampurn Chanakya Niti:स्वर्ण ( सोने )की परख के लिए पहले उसे कसौटी के पत्थर पर घिसा जाता है । अग्नि में तपाया जाता है पीटा जाता है और फिर जल से शुद्ध किया जाता है। जो इन माप डंडों पर खड़ा उतरे वही” स्वर्ण “है । जो न उतरे वह “तांबा” इसी प्रकार सज्जन और दुर्जन व्यक्ति को परखने के लिए कुछ मापदंड होते हैं।
जिन्हें जानना आवश्यक है, क्रोध सज्जन को भी आ सकता है । परंतु दुर्जन के विपरीत सज्जन का क्रोध सदैव अत्याचार के विरुद्ध ही होता है । अपने से ऊंचे पद वाले के सामने तो दुर्जन भी नतमस्तक होता है परंतु सज्जन वही जो अपने से नीचे कार्य करने वालों को भी आधर की दृष्टि से देखें।
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चाणक्य कौन थे?
चाणक्य चालक के पुत्र थे इन कौटिल्य ,विष्णु गुप्त के नाम से भी जाना जाता है । और यह चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु थे।
चाणक्य ने पत्नियों के बारे में क्या कहा?
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पति-पत्नी की उम्र में ज्यादा अंतर नहीं होना चाहिए । ऐसे में यदि पति की उम्र ज्यादा होती है तो पत्नी को मानसिक व शारीरिक सुख नहीं दे सकता । आचार्य चाणक्य ने कहा की पत्नी की इच्छा पूरी नहीं होने पर वह पर पुरुष की ओर आकर्षित हो सकती है ।पर इस कारण वैवाहिक जीवन तबाह हो सकता है।
चाणक्य अनुसार जीवन कैसा होना चाहिए?
Sampurna Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार दूसरों के लिए अपने दिल में अत्यधिक प्यार और सम्मान रखना सुखी जीवन की निशानी है। सुखी जीवन प्रत्येक व्यक्ति की अभिलाषा है लेकिन मनुष्य कई मोह माया से चारों ओर से घिरा रहता है।
चाणक्य ने भगवान के बारे में क्या कहा?
आचार्य चाणक्य ने भगवान विष्णु को सर्वश्रेष्ठ यानी परमपिता परमेश्वर कहा है उनका कहना है कि भगवान विष्णु की कृपा से ही व्यक्ति जीवन में सब कुछ प्राप्त करता है।इसलिए हर दुख संकट में ईश्वर का नाम सिमरन करना चाहिए।
चाणक्य के अनुसार पत्नी की पहचान कब होती है ?
चाणक्य कहते हैं की एक पत्नी की पहचान पति के संपूर्ण धन नष्ट होने पर हो जाती है। पति-पत्नी का रिश्ता भरोसे का होता है हर परिस्थिति में जो स्त्री अपने पति का साथ देती है वह आदर्श पत्नी होती है।
एक अच्छी पत्नी में क्या गुण होना चाहिए?
एक दूसरे के प्रति सम्मान
एक दूसरे के प्रति सच्चा प्रेम भाव हो
एक दूसरे पर इल्जाम ना लगाना
एक दूसरे की अलग सोच का भी आदर करना व उसे अपने की कोशिश करना सहयोग का भाव रखना
चाणक्य अनुसार अच्छी पत्नी कौन है?
अच्छी पत्नी वह है जो पूर्ण रूप से अपने पति के प्रति समर्पित होती है जो चरित्रवान गुणवंशीलवन और संस्कारी होती है।
Who is Chanakya?
Chanakya was an ancient Indian teacher philosopher economist jurist and royal advisor his traditionally identified as Kautilya or Vishnu gupt