Aacharya Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य की नीतिशास्त्र की नीतियां मनुष्य को एक सफ़ल और सरल, या फिर यों कहें की एक चालाक इंसान बनाने में मदद करती हैं। परंतु सिर्फ वही इंसान सफ़ल हो सकता है । जो Chanakya Niti पर अमल करता है । तो ऐसी ही 4 Chanakya नीतियां आपको यहां दी गई है , जिनपर अमल कर आप चाणक्य की तरह सोच सकते हो।
नाम | अन्य नाम |
चाणक्य | विष्णु गुप्त, कोटिल्य |
ये 4 Chanakya Niti कुछ इस प्रकार है।
- सदा सत्य बोलो और शुद्ध व सरल जीवन व्यतीत करो।
- उम्मीद सिर्फ अपने कर्म से रखो और कर्तव्य करते रहो।
- योजना जितनी गुप्त होगी सफलता उतनी निश्चित होगी।
- अपने भय कोई अपनी शक्ति बना लेना चाहिए।
Chanakya Niti: सदा सत्य बोलो और शुद्ध व सरल जीवन व्यतीत करो।
आचार्य Chanakya Niti कहती है, की यह शब्द आप बचपन में सुनते आ रहे हो कि, सदा सत्य बोलो और शुद्ध वह सरल जीवन व्यतीत करो, परंतु चाणक्य नीति रहती है ।कि शुद्ध एवं सरल जीवन व्यतीत करने के साथ-साथ सावधान भी रहना बहुत जरूरी है ।
आंधी चक्रवात की मार हो या अपने दुश्मन अर्थात मनुष्य का प्रहार हो जो वृक्ष सीधे तनकर खड़े रहते हैं ,वह सबसे पहले गिर जाते हैं । लेकिन जिन्हें आंधी के समक्ष झुकना आता है ,वह बच जाते हैं । सत्य के मार्ग पर टिके रहना उचित है, परंतु दुष्टों से बचने के लिए समय के साथ ढलना भी आना चाहिए सावधानी की लोच सीखना चाहिए । क्योंकि
“मक्खन में मिला थोड़ा सा नमक उसके गुन को नष्ट नहीं करता
अपितु उसमें खुलकर उसे नष्ट हो जाने से बचाता है”
चाणक्य नीति
इसी प्रकार एक सच्चे एवं सरल मानस को अपने स्वभाव को थोड़ी चतुर एवं सावधान रहना आवश्यक है।
अपेक्षा सिर्फ अपने कर्म से रखो और कर्तव्य करते रहो।
आचार्य चाणक्य नीति रहती है की, वृक्ष उगाने के लिए सब अच्छे से अच्छे बीज का उपयोग करते हैं , क्योंकि बीलाल±च ही यह निश्चित करता है की, उगने वाला पौधा एक बट वृक्ष बनेगा या कांटेदार झाड़ी । परंतु उस वृक्ष का अस्तित्व सुनिश्चित करती है वह माटी वह भूमि जिसमें वह बीज पनपेगा , क्योंकि यदि माटी बंजर हुई तो बीज सुख कर मर जाएगा ।
और यदि माटी में खारा पन हुआ । तो वह बीज एक छोटा सा पौधा बनकर ही सीमित रह जाएगा । इसलिए माटी पर ही निर्भर करता है कि, कौन सा बीज भविष्य में एक विशाल वट वृक्ष बनकर सैकड़ो को घर देगा, सैकड़ो को छांव देगा। यही संबंध है, “राजा और प्रजा के बीच”
राजा यदि बीज है तो ,प्रजा है माटी इसलिए यदि श्रेष्ठ से उत्तम शासन पाना है तो, प्रजा को स्वम सावधान रहना होगा । निरंतर खुद पर कार्य करते रहना होगा । क्योंकि राजा इसी रज से बनता है। इसलिए आवश्यकता राजा से अपेक्षा की नहीं है, आवश्यकता है ख़ुद के कर्म परीक्षा की । यही है श्रेष्ठ Chanakya Niti ।
अपने भय कोई अपनी शक्ति बना लेना ही Chanakya Niti है।
गुरु चाणक्य कहते हैं या Chanakya Niti कहती है की भय यदि मन के भीतर ही रहे तो प्राणी की रक्षा करता है ।परंतु यदि वही भय मन से बाहर आ जाए तो प्राणों का शत्रु भी बन जाता है। संसार का सबसे भयंकर जीव होता है सर्फ परंतु यहां यह जानना भी आवश्यक है ।की सर्प एक अत्यंत डरपोक जी भी होता है । छुप कर रहता है ,झाड़ियां में विचरण करता है ,कभी स्पष्ट रूप से सामने नहीं आता ।
परन्तु एक विचित्र तथ्य यह भी है की सभी सर्फ विषेले नहीं होते, ना ही हर किसी को सर्फ डशता है ,फिर भी सब सर्फ से भयभीत रहते हैं। क्यों? क्योंकि सर्फ को फूनकारन आता है। इस प्रकार अपने वह को ही अपनी शक्ति बनाकर वह कई पर्व जीत जाता है ।और स्वयं को सुरक्षित रखता है। भयभीत होना कोई बुरी बात नहीं है, परंतु भयबीथ होने पर भी अपने भय को अपने शत्रु पर प्रकट मत होने दो । क्योंकि
” हर युद्ध लड़कर नहीं जीता जाता कुछ केवल
शक्तिशाली होने का अभिनय करके भी जीते जा सकते हैं।”
chnakya niti
योजना जितनी गुप्त होगी सफलता उतनी निश्चित होगी।
Chanakya Niti कहती है कि, जीवन में आपने कितनी भी लक्ष्य सादे हों, परंतु प्रश्न यह है कि विफल कितने में हुए , सफल होने पर मन में यह विचार अवश्य आता होगा कि परिश्रम किया, दृढ़ निश्चित रखा तो फिर विफल क्यों हुआ? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए एक प्रश्न अपने आप से पूछिए कि जिस योजना को लक्ष्य साधकर आगे बढ़ रहे थे इसका ज्ञान किस-किस को था ?
पपीते के वृक्ष पर जब फल आते हैं , तो उसे कपड़े से ढक दिया जाता है। ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उसके रंग और गंध से किट और पक्षी आकर्षित होकर उसे खा ना जायें । इसलिए यदि फल का आनंद लेना है ,तो उसे गुप्त रखना होगा। सफल होने के लिए केवल परिश्रमी होना की पर्याप्त नहीं है, यदि लक्ष्य की प्राप्ति करनी है ,तो उस योजना को गुप्त रखना होगा जिससे आप लक्ष्य पाना चाहते हो ।
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चाणक्य ने भगवान के बारे में क्या कहा?
आचार्य चाणक्य ने भगवान विष्णु को सर्वश्रेष्ठ यानी परमपिता परमेश्वर कहा है उनका कहना है कि भगवान विष्णु की कृपा से ही व्यक्ति जीवन में सब कुछ प्राप्त करता है।इसलिए हर दुख संकट में ईश्वर का नाम सिमरन करना चाहिए।
चाणक्य अनुसार जीवन कैसा होना चाहिए?
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार दूसरों के लिए अपने दिल में अत्यधिक प्यार और सम्मान रखना सुखी जीवन की निशानी है। सुखी जीवन प्रत्येक व्यक्ति की अभिलाषा है लेकिन मनुष्य कई मोह माया से चारों ओर से घिरा रहता है।
चाणक्य के अनुसार पत्नी की पहचान कब होती है ?
चाणक्य कहते हैं की एक पत्नी की पहचान पति के संपूर्ण धन नष्ट होने पर हो जाती है। पति-पत्नी का रिश्ता भरोसे का होता है हर परिस्थिति में जो स्त्री अपने पति का साथ देती है वह आदर्श पत्नी होती है।
एक अच्छी पत्नी में क्या गुण होना चाहिए?
एक दूसरे के प्रति सम्मान
एक दूसरे के प्रति सच्चा प्रेम भाव हो
एक दूसरे पर इल्जाम ना लगाना
एक दूसरे की अलग सोच का भी आदर करना व उसे अपने की कोशिश करना सहयोग का भाव रखना
चाणक्य अनुसार अच्छी पत्नी कौन है?
अच्छी पत्नी वह है जो पूर्ण रूप से अपने पति के प्रति समर्पित होती है जो चरित्रवान गुणवंशीलवन और संस्कारी होती है।