Chanakya Niti: चाणक्य नीति आपको अपने जीवन में बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल करने के लिए मदद करती है ।यदि आप Chanakya Niti को पूरी तरह से पढ़ते हो और उसका अनुसरण कर अपनी लाइफ में इसका प्रयोग करते हो ,तो कोई भी आपको सफल होने से नहीं रोक सकता। चाणक्य नीति आपको सिखाती है, जीवन के अनोखे तरीके।
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य जिनको हम विष्णु गुप्त, और कौटिल्य के नाम से भी जानते हैं । आचार्य चाणक चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु थे उन्हें महान ज्ञानी और विद्वान पंडित माना जाता है । आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र की रचना की है, जो Chanakya Niti के नाम से जानी जाती है। यह चाणक्य नीतियां आपको अपने जीवन में कुछ भी हासिल करने में मदद करती हैं ।
चाणक्य | विष्णु गुप्त,कौटिल्य |
शास्त्र | नीति शास्त्र |
यदि आप इन चाणक्य नीतियों के बताए गए सिद्धांत पर चलते हो तो आपको जीवन में कोई नहीं हरा सकता । आप अपने जीवन में बड़ा सा बड़ा लक्ष्य हासिल कर सकते हो आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में ऐसी कई बातें बताइ है जो व्यक्ति का सही मार्गदर्शन करती हैं।
जीवन के नेतृत्व का अधिकार Chnakaya niti के अनुसार किसको है।
chanakya niti कहती है की नेतृत्व केवल एक ही श्रेष्ठ है।अपने शरीर को देखो दो आंखें, दो हाथ, 32 दांत, 20 अंगूठे और उंगलियां ,सैकड़ो तंत्र परंतु मस्तिष्क केवल एक और इसी एक मस्तिष्क के निर्देशों पर शरीर के सभी अंग सुचारू और संतुलित रूप से कार्य करते हैं । परंतु यदि मस्तिष्क एक से अधिक हों तो शरीर या तो विकृत हो जाता है या फिर रोगी ।
इसलिए आपका नाक, हाथ ,पांव की भांति सहायक अंग कई रखें परंतु नेतृत्व करने वाला इंसान सिर्फ एक ही रखें क्योंकि निर्णय लेने का अधिकार सिर्फ एक इंसान को हो तो तंत्र संतुलित रहता है । और जय की प्राप्ति होती है ।
लक्ष्य हासिल करने की गुप्त Chanakya Niti
यदि जीवन में आप कोई लक्ष्य पाना चाहते हो, चाहे वह बड़ा हो या छोटा और आपने मन में सोच लिया कि, मुझे लक्ष्य पाना है। तो मन से सोचे हुए कार्य को कभी भी अपनी वाणी के द्वारा प्रकट नहीं करना चाहिए परंतु मनपूर्वक भली प्रकार से सोचने हुए उसकी रक्षा करनी चाहिए ।
और चुप रहते हुए उस सोची हुई बात को कार्य रूप में बदलना चाहिए। और कर्म करते रहना चाहिए ।बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इंद्रियों को वश में करके समय के अनुसार अपनी क्षमता को तोलकर बगुले के समान अपने कार्य को सिद्ध करने में लग जाना चाहिए । जो लोग एक दूसरे के भेद को प्रकट करते हैं । वह उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जैसे बॉबी मैं फंसकर सांप नष्ट हो जाता है।
बुद्धिमान इंसान भी यहां कष्ट का भागी होता है?
Chanakya Niti कहती है कि मूर्ख शिष्य को उपदेश देने ,दुष्ट व्यभिचारणीय स्त्री का पालन पोषण करने धन संपत्ति के नष्ट होने तथा दुखी व्यक्ति के साथ व्यवहार रखने से बुद्धिमान व्यक्ति को भी कष्ट उठाना पड़ता है।
दुखी मनुष्य से संबंध रखने से चाणक्य जी का तात्पर्य है की ,जो मनुष्य कई रोगों से घिरा रहता है । और जिनका धन नष्ट हो चुका है, ऐसे व्यक्तियों से किसी भी प्रकार का संबंध रखना बुद्धिमान मनुष्य के लिए हानिकारक हो सकता है ।
अनेक रोगों का तात्पर्य संक्रामक रोग से रहता है। जिन लोगों का धन नष्ट हो चुका हो अर्थात जो दिवालिया हो गए हैं ,उन पर एका एक विश्वास करना कठिन होता है। दुखी का अर्थ विषाद ग्रस्त व्यक्ति से भी है । ऐसे लोगों का दुख से उबरना बहुत कठिन हो जाता है और प्राय असफलता ही हाथ लगती है जो वास्तव में दुखी हैं, और उनसे उभरना चाहता है, उसका सहयोग करना चाहिए क्योंकि दुखी से तो स्वार्थी ही बचता है ।
प्रतिभा शाली इंसान क्यों हीरे के समान है?
कभी सोचा है आपने की क्यों हीरे को मुकुट में धारण किया जाता है। क्यों उसे आभूषण बनाकर गले से लगाते हैं। क्यों उसे मार्ग में फेंक नहीं देते , अंततः यह भी एक पत्थर है क्या केवल इसलिए कि यह देखने में सुंदर है। सुंदर तो फूलों की पत्तियां भी होती हैं, तो फिर इन्हें क्यों मार्ग में बिखरा जाता है पैरों तले रौंदा जाता है, कारण है, कठोरता ।
यदि हीरे को पैरों तले रौंदने का प्रयास किया जाए तो पैर की ऐसी दुर्दशा कर देगा फिर दोबारा पैर रखने के लिए धरा नहीं मिलेगी। इसीलिए हीरे को मान से सर पर रखा जाता है।इस प्रकार प्रतिभाशाली व्यक्ति को मान सम्मान देना पड़ता है । यदि उसका अपमान करोगे तो वह घायल कर देगा और यदि सम्मान दोगे तो आपकी शोभा बढ़ाएगा।
Aacharya Chanakya Niti के अनुसार भीड़ आपकी पहचान छीन लेती है
संकट से बचने के लिए लोग समूह में यात्रा करते हैं क्योंकि समूह में यात्रा करने से संकट नहीं होता परंतु यही समूह आपसे आपकी पहचान भी छीन लेता है क्योंकि आप किसी अन्य के बताएं मार्ग पर आगे चल रहे हैं अपना मार्ग बनाने के लिए अकेला चलना पड़ता है । समूह में तो तारे भी रहते हैं परंतु वंदना और सूर्य की होती है जो अकेला चलता है।
उसकी पीड़ा सहनी पड़ती है सपना पड़ता है जलन पड़ता है स्वयं को संकटों का सामना करना भी पड़ता है तब जाकर बनती है पहचान और तभी मिलता है सम्मान
मनुष्य का स्वभाव सरल ही नहीं बल्कि कठोर भी होना चाहिए।
Aacharya Chanakya Niti कहती है की,जीवन में सदा मीठे स्वभाव और सरलता से ही लक्ष्य नहीं सादा जा सकता। दीवाल पर कुछ लगाना हो तो कील की आवश्यकता पड़ती है । मात्र परिश्रम और सरलता से सफलता अधिक समय तक टिकती नहीं , उसके लिए अपने निर्णय में दृढ़ता ,कठोरता और नुकीलापन लाना पड़ता है । इस कील की भांति ऊपर से सपाट और नीचे से नुकीली । परामर्श लेते समय सरल रहो ,परंतु से कार्य करते समय नुकीले और दृढ़ रहो।
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चाणक्य अनुसार जीवन कैसा होना चाहिए?
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार दूसरों के लिए अपने दिल में अत्यधिक प्यार और सम्मान रखना सुखी जीवन की निशानी है। सुखी जीवन प्रत्येक व्यक्ति की अभिलाषा है लेकिन मनुष्य कई मोह माया से चारों ओर से घिरा रहता है।
चाणक्य ने भगवान के बारे में क्या कहा?
आचार्य चाणक्य ने भगवान विष्णु को सर्वश्रेष्ठ यानी परमपिता परमेश्वर कहा है उनका कहना है कि भगवान विष्णु की कृपा से ही व्यक्ति जीवन में सब कुछ प्राप्त करता है।इसलिए हर दुख संकट में ईश्वर का नाम सिमरन करना चाहिए।
चाणक्य के अनुसार पत्नी की पहचान कब होती है ?
चाणक्य कहते हैं की एक पत्नी की पहचान पति के संपूर्ण धन नष्ट होने पर हो जाती है। पति-पत्नी का रिश्ता भरोसे का होता है हर परिस्थिति में जो स्त्री अपने पति का साथ देती है वह आदर्श पत्नी होती है।
एक अच्छी पत्नी में क्या गुण होना चाहिए?
एक दूसरे के प्रति सम्मान
एक दूसरे के प्रति सच्चा प्रेम भाव हो
एक दूसरे पर इल्जाम ना लगाना
एक दूसरे की अलग सोच का भी आदर करना व उसे अपने की कोशिश करना सहयोग का भाव रखना
चाणक्य अनुसार अच्छी पत्नी कौन है?
अच्छी पत्नी वह है जो पूर्ण रूप से अपने पति के प्रति समर्पित होती है जो चरित्रवान गुणवंशीलवन और संस्कारी होती है।